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भारत के इस गांव में 80 फीसदी लोग करते हैं 1500 किस्मों के पौधों की होलसेल मार्किट

भारत के इस गांव में 80 फीसदी लोग करते हैं 1500 किस्मों के पौधों की होलसेल मार्किट

अहमदाबाद। भारत में एक ऐसा गांव है जिसमें 80 फीसदी लोग 1500 किस्मों के पौधों की होलसेल मार्केट करते हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। गुजरात के नवसारी जिले के दोलधा गांव में एक अध्यापक अमृत भाई पटेल ने लोगों को खेती से बिजनेस करने का तरीका समझाया। साल 1991-92 में शुरू हुई यह पहल आज बड़ी क्रांति बनकर दुनियां के सामने आई है। आज गांव के न केवल 80 फीसदी से ज्यादा लोग इस बिजनेस को कर रहे हैं, बल्कि शहरों से आकर भी लोग इस गांव में पौधशाला बना रहे हैं और व्यवसाय कर रहे हैं। अब यहां 1500 किस्मों के पौधे मिलते हैं।


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पर्यावरण प्रेमी हैं अमृत पटेल

गुजरात के गांव दोलधा के रहने वाले अमृत पटेल शुरू से ही पर्यावरण के प्रेमी रहे हैं। वह पेड़-पौधों एवं प्रकृति से हमेशा प्रेम करते रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने नौकरी के साथ-साथ कुछ पौधे बेचना शुरू किया। कुछ दिनों बाद यही काम अच्छा चलने लगा और अमृत पटेल ने नौकरी छोड़कर अपना पूरा ध्यान नर्सरी बिजनेस (Doldha Nursery) पर ही लगा दिया। उन्ही से प्रेरणा लेकर गांव के दूसरे लोग भी नर्सरी बिजनेस करने लगे।

नर्सरी बिजनेस से जुड़ गया है पूरा गांव

साल 1991 में शुरू हुई नर्सरी की बिजनेस ने आज पूरे गांव में विस्तार कर लिया है। इसकी शुरुआत अमृतभाई पटेल ने की। करीब 6 साल बाद साल 1997 में गांव के कई और किसान भाई भी नर्सरी बिजनेस से जुड़ गए और गांव में छोटी-बड़ी करीब 200 से ज्यादा नर्सरियां बन गईं। आज गांव की आबादी का 80 फीसदी हिस्सा नर्सरी बिजनेस कर रहा है।


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दोलधा गांव की जमीन है उपजाऊ

गुजरात के दोलधा गांव की जमीन काफी उपजाऊ है और पौध के लिए बेहद उपयोगी है। यहां पौधों के साथ लॉन घास भी काफी अच्छा परिणाम देती है। यहां का वातावरण भी पौधे उगाने के लिए बहुत अच्छा है। पानी भी यहां काफी मीठा है, इसीलिए यहां के पौधों की नर्सरी लोगों को काफी पसंद है। दिल्ली, मुम्बई, पुणे के अलावा राजस्थान व मध्यप्रदेश में भी यहां से पौधे जाते हैं।
शिक्षक की नौकरी छोड़ शुरू किया नर्सरी का व्यवसाय, आय में हुआ इजाफा

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आज हम आपको ऐसे दो भाईयों के बारे में बताऐंगे जो कि राजस्थान के करौली जनपद के रहने वाले हैं। एक का नाम सुरजन सिंह है, तो दूसरे का नाम मोहर सिंह है। दोनों पहले प्राइवेट स्कूल में नौकरी करते थे। खेती में मेहनत ज्यादा और फायदा कम होने के चलते लोग नौकरी करना अधिक पसंद कर रहे हैं। यहां तक कि प्राइवेट नौकरी करने के लिए लोग लाइन में कतारबद्ध खड़े रहते हैं। परंतु, आज हम ऐसे दो भाइयों के संबंध में बात करेंगे, जिनमें खेती से संबंधित व्यवसाय करने की इच्छा के चलते अच्छी- खासी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी। अब यह दोनों भाई फूल, फल और सब्जियों की नर्सरी लगाकर प्रति माह मोटी आमदनी कर रहे हैं। इन दोनों भाइयों का कहना है, कि नर्सरी का बिजनेस शुरू करते ही उनकी आमदनी पहले की तुलना में दोगुनी हो गई है। अब ये दोनों भाई बाकी युवाओं के लिए भी मिसाल बन चुके हैं।

आमदनी के साथ-साथ पर्यावरण भी स्वच्छ हो रहा है

ये दोनों भाई राजस्थान के करौली जनपद के रहने वाले हैं। एक का नाम सुरजन सिंह है तो दूसरे का नाम मोहर सिंह। हालाँकि, पहले दोनों प्राइवेट स्कूल में ही नौकरी करते थे। इससे उनके घर का खर्चा नहीं चलता था। ऐसे में दोनों ने कुछ अलग हटकर व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई। तभी दोनों भाइयों के दिमाग में नर्सरी का व्यवसाय शुरू करने का आइडिया आया। मुख्य बात यह है, कि दोनों भाइयों ने किराए पर जमीन लेकर दो महीने पहले ही नर्सरी का व्यवसाय शुरू किया है। दोनों भाइयों का कहना है, कि यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे आमदनी तो हो ही रही है, साथ में पर्यावरण भी स्वच्छ हो रहा है।

प्राइवेट स्कूल में शिक्षक की नौकरी किया करते थे

सुरजन सिंह का कहना है, कि पहले वे प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी करते थे। दरअसल, इससे उनको अच्छी आमदनी नहीं हो रही थी। इस वजह से उन्होंने नर्सरी का बिजनेस चालू करने की योजना बनाई। इसके पश्चात उन्होंने ट्रायल के रूप में एक छोटी सी नर्सरी लगाकर अपना व्यवसाय शुरू किया। इससे उनको काफी ज्यादा फायदा हुआ। इसके उपरांत दोनों भाइयों ने किराए पर भूमि लेकर बेहद बड़े इलाके में नर्सरी लगानी चालू कर दी। अब उनकी नर्सरी में काफी बड़ी तादात में लोग पौधे खरीदने आ रहे हैं। ये भी पढ़े: मैनेजर की नौकरी छोड़ की बंजर जमीन पर खेती, कमा रहे हैं लाखों

हजारों रुपए के पौधे इनकी नर्सरी में हैं

साथ ही, मोहर सिंह का कहना है कि इस नर्सरी में विभिन्न किस्मों के पौधे हैं। इनमें से कई पौधों को हमने कोलकाता से मंगवाया है, जिसकी अच्छी बिक्री हो रही है। इसके अतिरिक्त वह देसी पौधों को स्वयं ही नर्सरी में तैयार कर रहे हैं। फिलहाल, उनकी नर्सरी में 20 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक के पौधे हैं। इससे आप यह आंकलन कर सकते हैं, कि किस किस तरह के पौधे इनकी नर्सरी में मौजूद हैं।